प्रदेश के मेडिकल कोचिंग में फैकल्टी की कमी को दूर करने के लिए दृष्टिगत चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा फैकल्टी की कमी को दूर करने की बात कही जा रही है। इसी क्रम में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली राजकीय आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान, श्रीनगर में राज्य सरकार ने विभिन्न कोचिंग के तहत चार मेडिकल फैकल्टी और दो कैजुअल मेडिकल प्रोफेसरों को मंजूरी दी है। नई मेडिकल फैकल्टी की फैक्ट्री से जहां मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी की कमी दूर होगी, अन्य बेसमेंट में सुधार आएगा।

 

हेमवती नंदा बहुगुणा उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के संरक्षकों/चयन समिति द्वारा ग्रेजुएट मेडिकल कॉलेज के विभिन्न अभ्यर्थियों के लिए रिक्त मेडिकल फैकल्टी के लिए साक्षात्कार आयोजित किया गया। जिसमें चयन समिति ने चार मेडिकल फैकल्टी और दो कैज्युअल्टी मेडिकल ऑफिसर का चयन किया। जिसमें पैथोलौली विभाग के अंतर्गत एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर डॉ. पवन भट्ट, प्रोफेसर पद पर डॉ. स्वाति पुंडीर, आर्थोपेडिक्स डॉ. वेद प्रकाश अग्रवाल, ई.एन.टी. में डॉ. श्वेता ईस्टर्न का हुआ चयन। इसी प्रकार कैज्यॉल्टी मेडिकल विभाग में डॉ. कज्योल्टी मेडिकल ऑफिसर के पद पर। अजित कुमार एवं डॉ. कृष्णाकांत स्टार का चयन किया गया है। इन सभी उद्योगों को राज्य सरकार ने संविधान के आधार पर मंजूरी दे दी है। पीडीएफ होने मेडिकल फैकल्टी एवं कजॉल्टी मेडिकल ऑफिसर को तीन साल या उक्त पद पर नियमित परामर्श तक जो भी पहले नियुक्त किया जाता है। सरकारी मेडिकल कॉलेज में मेडिकल फैकल्टी की दुकान के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इससे पहले पूर्व राज्य सरकार ने लगभग एक क्रैंक मेडिकल फैकल्टी की मंजूरी की थी, जिसमें अलग-अलग जेनेटिक्स में लगभग एक केमिकल मेडिकल कॉलेज शामिल थे। इन सभी गतियों में नव नियुक्त मेडिकल फैकल्टी के आने से मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षण में साथ-साथ डॉल को भी डिग्री का लाभ मिलेगा।

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