रुड़की – भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की ने हिमालयन सोसाइटी ऑफ जियोसाइंटिस्ट्स के सहयोग से अपने भू-विज्ञान विभाग के माध्यम से “हिमालय में प्राकृतिक खतरों” पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र में भूकंप, भूस्खलन, जीएलओएफ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते जोखिमों से निपटने के लिए एकीकृत समाधान तलाशना था।
मुख्य अतिथि प्रो. टी. एन. सिंह (निदेशक, आईआईटी पटना) ने विज्ञान और इंजीनियरिंग के अभिसरण की आवश्यकता पर बल दिया, जबकि आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के. के. पंत ने वैज्ञानिक अनुसंधान के सामाजिक प्रभाव को रेखांकित किया। कार्यशाला में भूवैज्ञानिकों, इंजीनियरों, नीति निर्माताओं और आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों ने भाग लिया। वक्ताओं ने भू-तकनीकी समाधानों, प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों और डेटा-संचालित दृष्टिकोणों की महत्ता पर प्रकाश डाला।
प्रस्तुतियों में हिमालयी स्ट्रेटीग्राफ़ी, ढलान स्थिरता, सुरंग निर्माण की जटिलताएँ, भूकंपीय जांच तकनीक और जीएलओएफ जैसी आपदाओं की पूर्व पहचान पर केंद्रित शोध शामिल रहे। पैनल चर्चाओं में उपग्रह निगरानी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सामुदायिक तैयारी की भूमिका पर चर्चा हुई।
कार्यक्रम का समापन अनुसंधान, नीति और प्रौद्योगिकी के एकीकरण के माध्यम से हिमालयी क्षेत्र में दीर्घकालिक आपदा लचीलापन विकसित करने की प्रतिबद्धता के साथ हुआ, जिससे जोखिम-ग्रस्त समुदायों के लिए सुरक्षित और सतत भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।