रुड़की, भारत: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की के शोधकर्ताओं ने खाद्य पैकेजिंग उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक विकास किया है। आईआईटी के पेपर टेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर कीर्तिराज के. गायकवाड़ और पीएचडी स्कॉलर श्री प्रदीप कुमार के नेतृत्व में, फलों और सब्जियों के शेल्फ जीवन को एक सप्ताह तक बढ़ाने के लिए एक पर्यावरण-अनुकूल पैकेजिंग समाधान तैयार किया गया है। यह समाधान 100% प्राकृतिक, संशोधित मिट्टी के खनिजों का उपयोग करके बनाया गया एक एथिलीन स्कैवेंजर है, जो ताजा उपज के पकने की प्रक्रिया को धीमा करता है, जिससे खाद्य अपशिष्ट में कमी आती है।

एथिलीन, जो एक प्राकृतिक पौधा हार्मोन है, पकने की गति को तेज करता है, लेकिन आईआईटी रुड़की का समाधान एथिलीन को प्रभावी ढंग से सोखकर पकने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। पारंपरिक स्कैवेंजरों में सिंथेटिक रसायन होते हैं जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं, जबकि इस नई तकनीक में पूरी तरह से प्राकृतिक सामग्री का उपयोग किया गया है। प्रयोगशाला परीक्षणों में इस स्कैवेंजर ने 86% की प्रभावशीलता से एथिलीन को सोखने में सफलता प्राप्त की है।

यह नवाचार खाद्य अपशिष्ट को कम करने और पर्यावरण की रक्षा करने के लक्ष्य में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो “स्वच्छ भारत अभियान” और “आत्मनिर्भर भारत” जैसी राष्ट्रीय पहलों से मेल खाता है। यह पैकेजिंग तकनीक न केवल उद्योग की बढ़ती जरूरतों को पूरा करती है, बल्कि पर्यावरण सुरक्षा में भी योगदान करती है। इस तकनीक को स्केलेबिलिटी के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह खाद्य पैकेजिंग उद्योग के लिए एक आकर्षक विकल्प बनता है। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने इस शोध को संस्थान की नवाचार और स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।

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