भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) के शोधकर्ताओं ने प्रतिष्ठित फ़ूड केमिस्ट्री जर्नल में एक महत्वपूर्ण अध्ययन प्रकाशित किया है, जो माँ के दूध में वसा ग्लोब्यूल्स (Milk Fat Globule Membrane – MFGM) की प्रोबायोटिक्स के वितरण वाहन के रूप में क्षमता को उजागर करता है। इस शोध का उद्देश्य शिशु स्वास्थ्य और कार्यात्मक खाद्य पदार्थों के विकास को बढ़ावा देना है, जो भारत सरकार के स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
आईआईटी रुड़की के जैव विज्ञान एवं जैव अभियांत्रिकी विभाग की प्रोफ़ेसर किरण अंबतिपुडी के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में यह पता चला कि MFGM का उपयोग शिशुओं में प्रोबायोटिक बैक्टीरिया पहुँचाने के लिए सुरक्षात्मक मैट्रिक्स के रूप में किया जा सकता है। यह शोध शिशु आंत के माइक्रोबायोम को आकार देने में इन बैक्टीरिया की भूमिका को उजागर करता है, विशेष रूप से समय से पहले जन्मे शिशुओं में, जिससे उनके समग्र स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा में सुधार होता है।
प्रोफेसर अंबातिपुडी ने कहा, “माँ का दूध केवल पोषण का स्रोत नहीं है, बल्कि यह लाभकारी बैक्टीरिया को माँ से बच्चे में स्थानांतरित करने का माध्यम है, जो आंत के स्वस्थ माइक्रोबायोम के विकास में मदद करता है।” शोध में यह भी बताया गया कि कैसे MFGM-encapsulated प्रोबायोटिक्स पेट और आंतों के वातावरण से सुरक्षित रहते हुए आंतों के माइक्रोबायोटा के साथ प्रभावी ढंग से इंटरएक्ट कर सकते हैं।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर कमल किशोर पंत ने कहा, “यह अध्ययन आईआईटी रुड़की के समर्पण को दर्शाता है, जो भारत सरकार के स्वस्थ राष्ट्र के दृष्टिकोण के अनुरूप शिशुओं के लिए एक स्वस्थ भविष्य में योगदान दे रहा है।”
यह शोध शिशु फार्मूले और कार्यात्मक खाद्य पदार्थों के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है, जो शिशु के आंत के विकास और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगा, साथ ही यह भारत सरकार की आयुष्मान भारत और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलों के अनुरूप है।