देहरादून: उत्तराखंड में आज से समान नागरिक संहिता लागू हो चुकी है. जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोग राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड के विरोध में उतर आए हैं. विरोध जताते हुए मुस्लिम सेवा संगठन से जुड़े नेताओं ने जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजा है.
संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी का कहना है कि इस कानून से धार्मिक मान्यताएं खंडित और अवरोधित होंगी. इस स्थिति में कमेटी में धार्मिक गुरुओं को शामिल करना आवश्यक था, किंतु राज्य सरकार ने गठित कमेटी में किसी भी धर्मगुरु को सम्मिलित नहीं किया जो इस कानून पर प्रश्न चिन्ह लगता है. उन्होंने कहा कमेटी की ओर से आम जनमानस से समान नागरिक संहिता लागू किए जाने को लेकर सुझाव मांगे के गए थे, जिसमें से एक लाख से अधिक सुझाव कमेटी की ईमेल पर और अन्य माध्यमों से प्रेषित किए गए, लेकिन समिति की ओर से उन सुझावों पर अमल नहीं किया गया.
नईम कुरैशी ने यूसीसी को भारत के संविधान की आत्मा पर प्रहार बताया है. उनका कहना है कि जब केंद्र ने कानून बनाया है तो फिर स्टेट को कानून बनाने की कोई जरूरत नहीं है. मुस्लिम नेताओं का कहना है कि हम इस कानून का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उत्तराखंड सरकार की ओर से लाया गया यूनिफॉर्म सिविल कोड भारत के संविधान की हत्या के समान है. इस कानून को रोकने के लिए जो भी संवैधानिक रास्ता अपनाना होगा, उसे मुस्लिम सेवा संगठन अपनाएगा. उन्होंने सड़क से लेकर कोर्ट तक इस लड़ाई को लड़ने की बात की है.