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आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं ने थाइमोल को जीवाणु संक्रमण में पुनरावृत्ति से निपटने में सहायक पाया।

आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं द्वारा की गई एक नई खोज ने एंटीबायोटिक प्रतिरोध के खिलाफ नई दिशा प्रस्तुत की है। एंटीबायोटिक प्रतिरोध, खासकर एसिनेटोबैक्टर बाउमानी जैसे दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया के कारण, वैश्विक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन गया है। इस शोध में पाया गया कि थाइमोल, जो कि थाइम के पौधे से प्राप्त एक प्राकृतिक यौगिक है, बैक्टीरिया की पर्सिस्टेंट कोशिकाओं को कमजोर करने में प्रभावी हो सकता है। थाइमोल बैक्टीरिया की ऊर्जा चयापचय को बाधित करता है, सुरक्षात्मक झिल्ली को नुकसान पहुंचाता है, और प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियाँ उत्पन्न करता है, जिससे बैक्टीरिया की सहनशीलता कम होती है और उपचार में सहारा मिलता है।

यह शोध महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एंटीबायोटिक दवाओं की प्रभावशीलता को बढ़ाने के नए तरीके सुझाता है, जिससे लगातार संक्रमणों के इलाज में मदद मिल सकती है। हालांकि, इस नई रणनीति की वास्तविक दुनिया में प्रभावशीलता को साबित करने के लिए और अधिक नैदानिक परीक्षणों की आवश्यकता होगी। यदि यह शोध सफल होता है, तो यह एंटीबायोटिक प्रतिरोध से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, और स्वास्थ्य प्रणाली में उपचार के परिणामों को सुधारने में मदद कर सकता है।

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