आईआईटी रुड़की में विरासत महोत्सव 2025 का उद्घाटन 27 जनवरी को हुआ, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और कलात्मक विरासत का उत्सव है। यह महोत्सव दो सप्ताह तक आयोजित होगा और स्पिक मैके द्वारा आयोजित किया जा रहा है। इस महोत्सव में भारत की पारंपरिक कलाओं और सांस्कृतिक परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन होगा, जिसमें पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त कलाकारों की प्रस्तुति शामिल हैं। उद्घाटन समारोह में प्रमुख आकर्षण कठपुतली कलाकार दादी पदुमजी का प्रदर्शन रहा, जिसमें उन्होंने भारतीय लोककथाओं और परंपराओं को कठपुतली कला के माध्यम से प्रस्तुत किया।
महोत्सव का उद्देश्य युवाओं में भारतीय शास्त्रीय कला और सांस्कृतिक विरासत के प्रति जागरूकता और सम्मान पैदा करना है। स्पिक मैके की संस्थापक डॉ. किरण सेठ ने कार्यक्रम में अपने विचार साझा करते हुए कहा कि शिक्षा का असली उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि ऐसे व्यक्तित्व का निर्माण करना है जो जीवन के गहरे मूल्यों और संस्कृति की सराहना करें। इस महोत्सव में तीन दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन भी आयोजित किया गया, जिसमें योग सत्र, पारंपरिक शिल्प कार्यशालाएं और सामुदायिक सेवा जैसी गतिविधियां शामिल थीं, जो भारतीय दर्शन और संस्कृति के साथ गहरे संबंधों को बढ़ावा देती हैं।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर कमल किशोर पंत ने भी महोत्सव के उद्घाटन में उत्साह व्यक्त किया और इसे शैक्षिक और सांस्कृतिक उत्कृष्टता का एक आदर्श उदाहरण बताया। इस महोत्सव में प्रस्तुतियों में पद्मश्री दादी पुदुमजी द्वारा कठपुतली कला, विदुषी ए. कन्याकुमारी का कर्नाटक वायलिन वादन, कुचिपुड़ी नृत्य, ध्रुपद गायन, और सितार वादन जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
यह महोत्सव भारत की शास्त्रीय कलाओं और सांस्कृतिक विविधता को प्रमोट करने के साथ-साथ छात्रों को भारतीय संस्कृति के गहरे ज्ञान से भी परिचित कराएगा। विरासत महोत्सव 2025 छात्रों और शिक्षकों के लिए एक प्रेरणादायक और परिवर्तनकारी अनुभव साबित होगा, जो उन्हें भारतीय शास्त्रीय कला के महत्व और उसकी समृद्ध विरासत से जोड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगा।